बिहार सरकार ने राज्य में भूमि सर्वेक्षण का कार्य जारी रखा है, जिसका उद्देश्य भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन करना और भूमि संबंधी विवादों को कम करना है।
यह सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल किसानों और भूमि मालिकों के लिए बल्कि राज्य के विकास के लिए भी आवश्यक है। हाल ही में, इस सर्वेक्षण की समयसीमा को बढ़ाकर जुलाई 2026 कर दिया गया है, जिससे रैयतों को अपनी जमीन के कागजात तैयार करने और जमा करने का और समय मिल जाएगा।
इस लेख में हम बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें सर्वेक्षण की प्रक्रिया, इसके उद्देश्य, लाभ और इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी।
बिहार में जमीन सर्वे का काम जारी है
बिहार में जमीन सर्वे का कार्य 20 अगस्त 2024 को शुरू हुआ था। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी मौजा (गांव) में भूमि के रिकॉर्ड को अद्यतन करना है। पहले इसे जुलाई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर जुलाई 2026 कर दिया गया है।
सर्वेक्षण का महत्व
- भूमि विवादों का समाधान: पुराने रिकॉर्ड के अनुसार कई बार भूमि पर विवाद उत्पन्न होते हैं। इस सर्वेक्षण से इन विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग: इस प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे डेटा संग्रहण और प्रबंधन आसान होगा।
- राजस्व संग्रह में सुधार: सटीक भूमि अभिलेखों से सरकार को राजस्व संग्रह में सुधार करने का अवसर मिलेगा।
प्रमुख बिंदु
बिंदु | विवरण |
सर्वेक्षण की शुरुआत | 20 अगस्त 2024 |
समयसीमा | जुलाई 2026 तक |
राजस्व विभाग | राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग |
कुल मौजा | 45,000 |
आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन और ऑफलाइन |
सर्वेक्षण के लाभ | भूमि विवादों का समाधान, राजस्व संग्रह में सुधार |
डिजिटल अभिलेख | सभी भू-स्वामित्व अभिलेख डिजिटल रूप में रखे जाएंगे |
जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया
बिहार में जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया काफी सरल बनाई गई है ताकि रैयत आसानी से अपनी जमीन का सर्वे करा सकें।
आवेदन कैसे करें
- ऑनलाइन आवेदन: रैयत अपने घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें स्वघोषणा प्रपत्र (Form 2) और वंशावली प्रपत्र (Form 3) भरना होगा।
- दस्तावेज़ जमा करना: रैयत को अपने जमीन से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे।
- फील्ड वर्क: इसके बाद अमीन (सरकारी कर्मचारी) द्वारा फील्ड वर्क किया जाएगा, जिसमें जमीन की माप और स्थिति की जांच की जाएगी।
महत्वपूर्ण तिथियाँ
- आवेदन की अंतिम तिथि: पहले यह तिथि दिसंबर 2024 थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर मार्च 2025 कर दिया गया है।
- स्वघोषणा जमा करने की तिथि: रैयतों को अपनी स्वघोषणा 22 फरवरी 2025 तक जमा करनी होगी।
लाभ और उद्देश्य
बिहार भूमि सर्वेक्षण के कई लाभ हैं जो न केवल किसानों बल्कि राज्य के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं:
भूमि विवादों का समाधान
इस सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। पुराने रिकॉर्ड के अनुसार कई बार एक ही जमीन पर कई लोग दावा करते हैं, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं।
राजस्व संग्रह में सुधार
सटीक और अद्यतन भूमि अभिलेख सरकार को राजस्व संग्रह में सुधार करने का अवसर प्रदान करेंगे। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
विकास कार्यों के लिए पारदर्शिता
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल हो जाएगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी।
सरकारी योजनाएँ और सहायता
- KCC ऋण माफी: जिन किसानों ने KCC ऋण लिया था, उन्हें कुछ विशेष परिस्थितियों में ऋण माफी का लाभ मिलेगा।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: सरकार ने रैयतों को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए हैं ताकि वे सही तरीके से आवेदन कर सकें।
निष्कर्ष
बिहार में चल रहा जमीन सर्वेक्षण न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे राज्य के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया पुराने रिकॉर्ड को अद्यतन करने, भूमि विवादों को सुलझाने और राजस्व संग्रह को बढ़ाने में मदद करेगी।
रैयतों को इस प्रक्रिया का पूरा लाभ उठाना चाहिए और समय सीमा के भीतर अपने आवेदन जमा करना चाहिए। इससे उन्हें अपनी जमीन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान मिल सकेगा।
Disclaimer: यह लेख जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। सभी आंकड़े और विवरण समय के साथ बदल सकते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले उचित सलाह लें।