Recycled Cash Decor 2025: आपके पुराने नोटों से अब बनेंगे सुंदर फर्नीचर, 7 अद्भुत तरीके जो आपको चौंका देंगे

आज के समय में पर्यावरण सुरक्षा और सस्टेनेबिलिटी (टिकाऊ विकास) बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब फटे-पुराने या कटे हुए बैंक नोटों को सिर्फ नष्ट करने के बजाय, उनका इस्तेमाल घर के फर्नीचर बनाने में किया जाएगा। यह निर्णय ना सिर्फ पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा, बल्कि इन नोटों से रिसाइकिलिंग के जरिए नए उत्पाद बनाकर अतिरिक्त आय का भी स्रोत बनेगा।

इससे पहले, पुराने और कटे-फटे नोटों को या तो जमीन में दबा दिया जाता था या फिर जला दिया जाता था। इन दोनों ही तरीकों से पर्यावरण को नुकसान होता था। लेकिन अब RBI ने एक नया तरीका अपनाया है, जिसमें इन नोटों को पार्टिकल बोर्ड में बदला जाएगा। इस बोर्ड से कुर्सी, टेबल, अलमारी जैसे घर के फर्नीचर बनाए जाएंगे। इस प्रक्रिया में RBI ने वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (IWST) जैसे तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है और इस तरह की रिसाइकिलिंग की तकनीक को विकसित किया है।

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इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे लकड़ी की बचत होगी और जंगलों की कटाई भी कम होगी। साथ ही, कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। RBI की इस पहल को देश के अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ भी साझा किया जा सकता है, ताकि वे भी इस तरह की सस्टेनेबल पहल को अपना सकें।

Recycled Cash Decor 2025

फटे पुराने नोटों से फर्नीचर बनाने की पूरी प्रक्रिया क्या है?

RBI हर साल लाखों टन पुराने और कटे-फटे नोटों को नष्ट करता है। अब तक इन नोटों को श्रेडिंग मशीनों से काटकर ब्रीकेट्स (कंप्रेस्ड पेपर ब्लॉक) बनाया जाता था। इन ब्रीकेट्स को या तो लैंडफिल में दबा दिया जाता था या फिर जला दिया जाता था। लेकिन, अब इन्हीं ब्रीकेट्स का इस्तेमाल पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाएगा, जो लकड़ी के बोर्ड का एक टिकाऊ विकल्प है।

इस पूरी प्रक्रिया में RBI ने कई तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने पाया कि फटे-पुराने नोटों से बने ब्रीकेट्स पार्टिकल बोर्ड बनाने के लिए बिल्कुल सही हैं। इन बोर्ड्स से घर के फर्नीचर, जैसे कुर्सी, टेबल, अलमारी, बेड, डेस्क आदि बनाए जा सकते हैं। RBI ने इसके लिए पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं को एक पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

RBI की भूमिका और पहल

RBI ने इस पहल को अपनी सालाना रिपोर्ट में भी शामिल किया है। उन्होंने बताया कि हर साल लगभग 15,000 टन पुराने नोटों के ब्रीकेट्स बनते हैं। इन्हें अब पर्यावरण के अनुकूल तरीके से रिसाइकिल किया जाएगा। RBI ने इसके लिए कई तकनीकी संस्थानों, जैसे IWST और NID (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन) के साथ मिलकर काम किया है। पहले भी RBI ने 2017 में NID के साथ मिलकर पुराने नोटों से टेबलटॉप, क्लॉक, पेपरवेट जैसे उत्पाद बनाए थे।

मुख्य जानकारी

विषयविवरण
पहलकर्ताभारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
उद्देश्यफटे-पुराने नोटों का पर्यावरण अनुकूल निपटान और फर्नीचर निर्माण
प्रक्रियानोटों को श्रेडिंग और ब्रीकेटिंग के बाद पार्टिकल बोर्ड बनाना
सालाना नोट ब्रीकेट्सलगभग 15,000 टन
फर्नीचर के प्रकारकुर्सी, टेबल, अलमारी, बेड, डेस्क आदि
पर्यावरण लाभलकड़ी की बचत, जंगलों की कटाई कम, कार्बन उत्सर्जन में कमी
तकनीकी सहयोगIWST, NID जैसे संस्थान
अतिरिक्त आयरिसाइकिलिंग से RBI को अतिरिक्त कमाई

फर्नीचर बनाने के फायदे

पर्यावरण सुरक्षा

  • लकड़ी की बचत: पार्टिकल बोर्ड बनाने के लिए अब लकड़ी के बजाय फटे-पुराने नोटों के ब्रीकेट्स का इस्तेमाल होगा, जिससे जंगलों की कटाई कम होगी।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी: नोटों को जलाने या लैंडफिल में दबाने से कार्बन उत्सर्जन होता था, अब रिसाइकिलिंग से यह कम होगा।
  • पर्यावरण प्रदूषण में कमी: पहले नोटों के निपटान से पर्यावरण प्रदूषण होता था, अब यह कम होगा।

आर्थिक लाभ

  • अतिरिक्त आय: RBI को नोटों की रिसाइकिलिंग से अतिरिक्त आय होगी, क्योंकि पार्टिकल बोर्ड निर्माता इन ब्रीकेट्स को खरीदेंगे।
  • नए उत्पाद: पुराने नोटों से नए उत्पाद बनेंगे, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

सामाजिक लाभ

  • रोजगार के अवसर: इस प्रक्रिया में कई लोगों को रोजगार मिलेगा, जैसे श्रेडिंग, ब्रीकेटिंग, पार्टिकल बोर्ड निर्माण, फर्नीचर बनाने वाले आदि।
  • जनजागरूकता: लोगों को पर्यावरण सुरक्षा और रिसाइकिलिंग के बारे में जागरूक किया जाएगा।

प्रक्रिया

  1. नोटों का संग्रहण: RBI और बैंकों द्वारा पुराने, कटे-फटे नोटों को इकट्ठा किया जाता है।
  2. श्रेडिंग: इन नोटों को श्रेडिंग मशीनों से काटा जाता है।
  3. ब्रीकेटिंग: कटे हुए नोटों को कंप्रेस करके ब्रीकेट्स (पेपर ब्लॉक) बनाए जाते हैं।
  4. पार्टिकल बोर्ड निर्माण: इन ब्रीकेट्स को पार्टिकल बोर्ड बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
  5. फर्नीचर निर्माण: पार्टिकल बोर्ड से कुर्सी, टेबल, अलमारी आदि फर्नीचर बनाए जाते हैं।
  6. बाजार में बिक्री: बने हुए फर्नीचर को बाजार में बेचा जाता है।

तकनीकी जानकारी

तकनीकी संस्थानों की भूमिका

RBI ने इस प्रक्रिया के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IWST) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) जैसे संस्थानों के साथ मिलकर काम किया है। इन संस्थानों ने पाया कि फटे-पुराने नोटों से बने ब्रीकेट्स पार्टिकल बोर्ड बनाने के लिए बिल्कुल सही हैं और इनकी गुणवत्ता भी लकड़ी के बोर्ड के बराबर है।

पार्टिकल बोर्ड क्या है?

पार्टिकल बोर्ड एक तरह का इंजीनियर वुड (इंजीनियर की हुई लकड़ी) है, जिसे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों या अन्य फाइबर से बनाया जाता है। अब इसमें लकड़ी के बजाय फटे-पुराने नोटों के ब्रीकेट्स का इस्तेमाल होगा।

फर्नीचर की गुणवत्ता

इस बोर्ड से बने फर्नीचर की गुणवत्ता भी अच्छी होगी और यह लकड़ी के फर्नीचर की तरह ही मजबूत और टिकाऊ होगा। इससे घरों, ऑफिस, स्कूल, कॉलेज आदि में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

RBI की पहले की पहलें और अनुभव

RBI ने इससे पहले भी पुराने नोटों को रिसाइकिल करने की कोशिश की है। 2017 में, RBI ने NID के साथ मिलकर पुराने नोटों से टेबलटॉप, क्लॉक, पेपरवेट जैसे उत्पाद बनाए थे। इस बार यह पहल और बड़ी है, क्योंकि अब पूरे फर्नीचर बनाए जाएंगे।

अभी RBI के कार्यालयों में 27 श्रेडिंग और ब्रीकेटिंग मशीनें लगी हुई हैं, जिनके माध्यम से पुराने और डिमोनेटाइज्ड नोटों को काटा जाता है और ब्रीकेट्स बनाए जाते हैं। इन नोटों को पहले करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (CVPS) से गुजारा जाता है, ताकि उनकी गिनती और प्रामाणिकता की जांच हो सके।

चुनौतियाँ

  • तकनीकी चुनौतियाँ: पार्टिकल बोर्ड बनाने के लिए नोटों के ब्रीकेट्स की गुणवत्ता को बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है।
  • लागत: इस प्रक्रिया में कुछ अतिरिक्त लागत आ सकती है, जैसे नए उपकरण और प्रशिक्षण की जरूरत।
  • जनजागरूकता: लोगों को इस तरह के फर्नीचर के बारे में जागरूक करना भी एक चुनौती है।
  • बाजार में स्वीकार्यता: लोगों को इस तरह के फर्नीचर को अपनाने के लिए प्रेरित करना भी जरूरी है।

जागरूकता और भविष्य

जागरूकता:
इस पहल को सफल बनाने के लिए जनजागरूकता बहुत जरूरी है। RBI और सरकार को लोगों को इसके फायदों के बारे में बताना चाहिए, ताकि वे इस तरह के फर्नीचर को अपनाएं।

भविष्य:
अगर यह पहल सफल होती है, तो भविष्य में और भी कई चीजें पुराने नोटों से बनाई जा सकती हैं, जैसे दीवार के पैनल, डेकोरेटिव आइटम, खिलौने आदि। इससे पर्यावरण को और भी ज्यादा फायदा होगा।

डिस्क्लेमर

यह पहल वास्तविक है और RBI ने इसे अपनी सालाना रिपोर्ट में भी शामिल किया है।
RBI ने अपनी सालाना रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया है कि वह पुराने और कटे-फटे नोटों को पार्टिकल बोर्ड बनाने में इस्तेमाल करेगा और इससे फर्नीचर बनाए जाएंगे। यह पहल पर्यावरण सुरक्षा और सस्टेनेबिलिटी को ध्यान में रखकर की गई है।
हालांकि, अभी यह पहल शुरुआती चरण में है और इसके बड़े पैमाने पर लागू होने में कुछ समय लग सकता है। इसके अलावा, फर्नीचर की गुणवत्ता और बाजार में स्वीकार्यता को लेकर भी कुछ चुनौतियाँ हैं, लेकिन RBI और तकनीकी संस्थान इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

निष्कर्ष

फटे पुराने नोटों से फर्नीचर बनाने की RBI की यह पहल ना सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छी है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक रूप से भी लाभदायक है। इससे लकड़ी की बचत होगी, जंगलों की कटाई कम होगी, कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और RBI को अतिरिक्त आय भी होगी। साथ ही, इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। अगर यह पहल सफल होती है, तो भविष्य में और भी कई नए उत्पाद पुराने नोटों से बनाए जा सकते हैं।

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