बिहार भूमि सर्वेक्षण के नए नियमों के तहत सभी भूमिधारकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई है। यह सर्वेक्षण प्रक्रिया राज्य में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
नए नियमों के अनुसार, भूमि मालिकों को अपने भूमि दस्तावेजों को जमा करने के लिए अब 180 कार्य दिवसों का समय दिया गया है, जो पहले 30 कार्य दिवस था। यह बदलाव भूमि विवादों को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किया गया है।
बिहार भूमि सर्वेक्षण 2025 का उद्देश्य
- डिजिटल मैपिंग: सभी भूखंडों का डिजिटल मानचित्रण करना।
- रिकॉर्ड अपडेशन: पुराने और अप्रचलित भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन करना।
- विवाद समाधान: भूमि संबंधित विवादों को कम करने के लिए सटीक सीमांकन।
- पारदर्शिता: भूमि प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाना।
- ऑनलाइन सेवाएं: भूमि संबंधित सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराना।
बिहार भूमि सर्वेक्षण 2025 का अवलोकन
विवरण | जानकारी |
---|---|
परियोजना का नाम | बिहार भूमि सर्वेक्षण 2025 |
लक्षित पूर्णता वर्ष | 2025 |
कवर किए जाने वाले क्षेत्र | बिहार के सभी जिले |
मुख्य उद्देश्य | भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण |
लाभार्थी | सभी भूमिधारक और किसान |
कार्यान्वयन एजेंसी | बिहार राज्य राजस्व और भूमि सुधार विभाग |
तकनीकी साधन | ड्रोन और जीआईएस तकनीक |
अपेक्षित परिणाम | भूमि विवादों में कमी और पारदर्शी भूमि प्रशासन |
नए नियमों की विशेषताएँ
- स्व-घोषणा की प्रक्रिया: अब भूमिधारकों को अपने दस्तावेज़ जमा करने के लिए 180 कार्य दिवस मिलेंगे। यह समय सीमा पहले 30 कार्य दिवस थी।
- आपत्तियों का निपटारा: यदि भूमिधारक सर्वेक्षण विवरण से असंतुष्ट हैं, तो वे फॉर्म 8 का उपयोग करके आपत्तियाँ दर्ज कर सकते हैं। अब इस प्रक्रिया के लिए उन्हें 30 दिन का समय मिलेगा।
- सरकारी जमीन की सुरक्षा: सरकारी जमीन से संबंधित दावों और आपत्तियों को अब केवल उच्च रैंक के अधिकारियों द्वारा ही निपटाया जाएगा।
- अंतिम प्रकाशन: अंतिम रिकॉर्ड प्रकाशित होने के बाद भूमिधारक 90 दिनों तक आपत्तियाँ दर्ज कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण बातें
- भूमि विवादों में कमी: यह सर्वेक्षण प्रक्रिया विवादों को कम करने में मदद करेगी, जिससे किसानों और भूमिधारकों को अपने अधिकार सुरक्षित रखने में सहायता मिलेगी।
- डिजिटलीकरण की दिशा में कदम: यह प्रक्रिया राज्य की डिजिटल पहल को भी मजबूती प्रदान करेगी, जिससे सभी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी।
निष्कर्ष
बिहार भूमि सर्वेक्षण 2025 एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल भूमिधारकों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि इससे राज्य की भूमि प्रबंधन प्रणाली में भी सुधार होगा। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी और विवादों का समाधान आसान होगा।
सभी भूमिधारकों को इस नए नियम की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि वे अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।इस प्रकार, बिहार सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियम सभी भूमिधारकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आए हैं।
यह न केवल उनके अधिकारों की सुरक्षा करेगा, बल्कि उन्हें अपनी जमीन की सही जानकारी प्रस्तुत करने का अवसर भी देगा।