Gratuity Calculation: खुद पता करें रिटायरमेंट के बाद कितना पैसा मिलेगा।

हर कर्मचारी के लिए ग्रेच्युटी (Gratuity) एक महत्वपूर्ण लाभ है, जो उनके लंबे समय तक काम करने के लिए एक इनाम के रूप में दिया जाता है। यह राशि कर्मचारी के रिटायरमेंट, नौकरी छोड़ने या कुछ विशेष परिस्थितियों में दी जाती है। भारत में ग्रेच्युटी का भुगतान “Payment of Gratuity Act, 1972” के तहत किया जाता है। यह लेख आपको ग्रेच्युटी की गणना, उसके नियम और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझाएगा।

ग्रेच्युटी क्या है? (What is Gratuity?)

ग्रेच्युटी एक लंप सम राशि होती है, जो नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद स्वरूप दी जाती है। यह राशि कर्मचारियों को तब मिलती है जब वे किसी कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम कर चुके होते हैं। हालांकि, मृत्यु या विकलांगता जैसी विशेष परिस्थितियों में 5 साल की सेवा की शर्त लागू नहीं होती।

ग्रेच्युटी का महत्व:

  • यह कर्मचारी के भविष्य को सुरक्षित करता है।
  • रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
  • कर्मचारियों को लंबे समय तक कंपनी में टिके रहने के लिए प्रेरित करता है।

ग्रेच्युटी का फॉर्मूला (Gratuity Calculation Formula)

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ग्रेच्युटी की गणना एक सरल फॉर्मूले से की जाती है:

 = ×(1526)× 

 = ×(

26

15

)× 

यहां:

  • अंतिम सैलरी = बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता (Dearness Allowance)
  • 15/26 = प्रति वर्ष 15 दिनों की सैलरी (1 महीने में 26 कार्य दिवस माने जाते हैं)
  • सेवा के वर्षों की संख्या = कंपनी में पूरे किए गए वर्षों की संख्या

उदाहरण:

यदि किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी ₹50,000 है और उसने 10 साल तक काम किया है, तो उसकी ग्रेच्युटी इस प्रकार होगी:

 =₹50,000×(1526)×10=₹2,88,461

 =₹50,000×(

26

15

)×10=₹2,88,461

ग्रेच्युटी से जुड़े नियम (Rules for Gratuity)

  1. योग्यता (Eligibility):
    • कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक लगातार सेवा की हो।
    • मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में 5 साल की शर्त लागू नहीं होती।
  2. किस पर लागू होता है?
    • उन संस्थानों पर जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों।
    • सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों पर लागू।
  3. अधिकतम सीमा:
    • वर्तमान में ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा ₹20 लाख निर्धारित है।
  4. सेवा अवधि का गणना:
    • यदि सेवा अवधि 6 महीने से अधिक हो, तो उसे अगले वर्ष में राउंड ऑफ किया जाता है। जैसे, 7 साल 7 महीने = 8 साल माना जाएगा।

ग्रेच्युटी का उपयोग कैसे करें? (How to Use Gratuity)

नीचे एक तालिका दी गई है जो ग्रेच्युटी से जुड़ी प्रमुख जानकारी को प्रस्तुत करती है:

पैरामीटरविवरण
लागू अधिनियमPayment of Gratuity Act, 1972
न्यूनतम सेवा अवधि5 साल
अधिकतम सीमा₹20 लाख
फॉर्मूलाअंतिम सैलरी × (15/26) × सेवा वर्ष
किस पर लागू होता है?सरकारी और निजी संस्थान
कर छूट₹20 लाख तक टैक्स फ्री

ग्रेच्युटी का भुगतान कब होता है? (When is Gratuity Paid?)

ग्रेच्युटी निम्नलिखित स्थितियों में दी जाती है:

  1. रिटायरमेंट: जब कर्मचारी अपनी नौकरी से रिटायर होता है।
  2. नौकरी छोड़ना: यदि कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से नौकरी छोड़ता है।
  3. मृत्यु या विकलांगता: ऐसी स्थिति में परिवार/नॉमिनी को भुगतान किया जाता है।
  4. सुपरएनुएशन: जब कर्मचारी अपनी सेवा अवधि पूरी करता है।

ग्रेच्युटी कैलकुलेशन के उदाहरण (Gratuity Calculation Examples)

उदाहरण 1:

  • अंतिम सैलरी: ₹60,000
  • सेवा अवधि: 15 साल

 =₹60,000×(1526)×15=₹5,19,230

 =₹60,000×(

26

15

)×15=₹5,19,230

उदाहरण 2:

  • अंतिम सैलरी: ₹40,000
  • सेवा अवधि: 7 साल

 =₹40,000×(1526)×7=₹1,61,538

 =₹40,000×(

26

15

)×7=₹1,61,538

ग्रेच्युटी से जुड़े सवाल-जवाब (FAQs on Gratuity)

क्या ग्रेच्युटी टैक्स फ्री होती है?

हां, ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी राशि टैक्स फ्री होती है। इससे अधिक राशि पर टैक्स लागू हो सकता है।

क्या पार्ट-टाइम कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलती है?

नहीं, केवल पूर्णकालिक कर्मचारियों को ही ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।

क्या नौकरी बदलने पर भी ग्रेच्युटी मिलती है?

हां, यदि आप किसी कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम कर चुके हैं और नौकरी छोड़ते हैं तो आपको ग्रेच्युटी मिलेगी।

निष्कर्ष (Conclusion)

ग्रेच्युटी हर कर्मचारी के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा कवच प्रदान करती है। यह न केवल उनके लंबे समय तक कंपनी के प्रति समर्पण को मान्यता देती है बल्कि रिटायरमेंट के बाद आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित करती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपको कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी, तो ऊपर दिए गए फॉर्मूले का उपयोग करें और अपनी भविष्य की योजना बनाएं।

Disclaimer:

यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया अपनी व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार विशेषज्ञ सलाह लें।

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